🔴कमल कुमार गुप्ता, अररिया

 ( बिहार )

पड़ोसी देश नेपाल सीमा सटे नरपतगंज प्रखंड के पथराहा पंचायत अंतर्गत हरिपुर घुरना सुरसर नदी किनारे स्थित दक्षिणेश्वरी काली मंदिर की भव्यता व सुंदरता को लेकर आसपास के क्षेत्र सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी चर्चित है। यहां प्रत्येक दिन मां काली

की पूजा अर्चना होती है किंतु काली पूजा में यहां भव्य तरीके से मांता काली की पूजा होती है एवं मेला भी लगाया जाता है। इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुई है।

कमिटि के सदस्य शारदानंद झा ,प्रवीण झा ,सुनील झा ,राहुल झा, अमोल झा, रोहित झा, शंकर झा ,संतन झा, रोशन झा, मुकेश झा , व स्थानीय ग्रामीण मां काली की सेवा व मंदिर में अपना योगदान दे रहे हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि पडोसी देश नेपाल के कई क्षेत्रों में पहुंच गयी है।

मंदिर का इतिहास—- मंदिर के इतिहास के संदर्भ में ग्रामीण बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना वर्ष 2013 ई.में हुई थी। सर्वप्रथम फुस व टीन के बने घर में हीं ग्रामीणों द्वारा भगवती की पूजा प्रारंभ की गयी थी। इसके बाद ग्रामीणों के सहयोग सें मंदिर का पक्कीकरण किया गया। प्रत्येक वर्ष दीपावली में मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा

अर्चना की जाती है। इस मंदिर में सालों भर कई प्रकार के विशेष अनुष्ठान होते रहते है। मंदिर के पुजारी हीरा झा स्थापना काल से ही काली मंदिर में पूजा अर्चना तथा माता काली की सेवा करते है। सालों भर प्रत्येक शनिवार को संध्या के समय माता काली की भजन संकीर्तन का आयोजन ग्रामीण कीर्तन मंडली द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में बलि प्रथा का प्रचलन है।

⭕विशेषता— मंदिर के चारों तरफ लोहे की ग्रिल से गिरी इस मंदिर का मुख्य दरवाजा दक्षिण की ओर है। मंदिर के नीचे ले फर्श पर टाइल्स लगा हुआ है यहां सुबह शाम पुजारी हीरा झा के द्वारा पूजा किया जाता है । खास यह है कि इस मंदिर में बलि प्रथा का प्रचलन है ,इस मंदिर में माता काली के इस रूप को दक्षिणेश्वरी श्यामा काली के नाम से जाना जाता है । इसमें रात्रि निशा पुजा का विशेष महत्व है ।

कहते है कमिटि के वरिष्ठ कार्यकर्ता—– शारदानंद झा कहते हैं कि काली पुजा के समय दिनों में पडोसी देश नेपाल के श्रद्धालुगण भी भारी संख्या में पूजा अर्चना करने आते हैं , इस मंदिर के पूजारी कभी नमक का सेवन नहीं करते हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस बार भव्य पूजा पंडाल का आयोजन किया गया है । यहां हर दिन सैकड़ों की संख्या में नेपाल के श्रद्धालु एवं स्थानीय श्रद्धालु पहुंचते हैं दीपावली की शाम को मंदिर को दीप व मोमबत्तियों से सजाया जाता है दीपावली की संध्या महाप्रसाद के रुप मे हलुआ ,व खिचड़ी का भोग लगाया जाता है तथा संध्या के समय महाप्रसाद का वितरण किया जाता है। इस आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण प्रसाद ग्रहण करते हैं।

💢क्या कहते हैं मंदिर के पूजारी-

मंदिर के पूजारी हीरा झा व मुक्तिनाथ झा कहते हैं कि इस मंदिर में साक्षात विराजमान दक्षिणेश्वरी काली माता की कृपा से यहां आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। धार्मिक पुस्तक के अनुसार शप्तशती पाठ व मंत्रोच्चार के साथ माता काली की पूजा पाठ की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं में प्राचीन एवं अति प्राचीन मंदिरों में इस मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास है , माता दक्षिणेश्वरी काली सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करती है।